The smart Trick of विश्व का इतिहास That Nobody is Discussing
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यह ग्रंथ मोरक्को के यात्री इब्नबतूता ने लिखा है। यह उसका यात्रा-वृत्तांत है, जो अरबी भाषा में रचित है। इस ग्रंथ में उसने मुहम्मद तुगलक के दरबार, उसके नियम, रीति-रिवाजों, परम्पराओं, दास प्रथा एवं स्त्रियों की दशा का सुन्दर वर्णन किया है। उसका वर्णन पक्षपात की भावना से मुक्त है। मुगलकालीन साहित्य[संपादित करें]
ख्वांदमीर ने कानून-ए-हुमायूँनी (हुमायूँ के नियम) नामक अन्य पुस्तक की भी रचना की थी, जिसमें हुमायूँकालीन अनेक नियमों, कानूनों और दरबार के रीति-रिवाजों का विवरण मिलता है। यद्यपि कानून-ए- हुमायूँनी मुगल सम्राट हुमायूँ की जीवनी है और उसमें हुमायूँ की प्रशंसा अधिक है, फिर भी, ख्वांदमीर के विवरण विश्वसनीय प्रतीत होते हैं।
यद्यपि तारीख-ए-शेरशाही में घटनाओं की तिथियाँ नहीं दी गई हैं, फिर भी, इसे एक प्रामाणिक स्रोत-सामग्री माना जाता है और अनेक इतिहासकारों ने इसके आधार पर शेरशाह का इतिहास लिखा है। सरवानी ने अनेक घटनाओं से संबंधित अपने सूचना-स्रोतों का भी उल्लेख किया है, जिसके कारण इस पुस्तक के तथ्य विश्वसनीय माने जाते हैं। वास्तव में, शेरशाह का संपूर्ण विवरण जितना विस्तारपूर्वक तारीख-ए-शेरशाही में मिलता है, उतना किसी अन्य ग्रंथ में नहीं मिलता है।
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पर भारत पर कभी भी मंगोलों का बड़ा आक्रमण नहीं हुआ और मंगोल जिसे फ़ारसी में मुग़ल कहा जाता है
इसी क्रम में भारत में सैय्यद वंश और लोदी वंश का उदय भी होता है। जिन्होंने दिल्ली सल्तनत पर राज किया। सल्तनत काल की शासन व्यवस्था काफी हद तक व्यवस्थित थी। दिल्ली के सल्तनत काल में राजकीय कार्यों को संपादित करने के लिए विभिन्न विभागों की भी स्थापना की गई थी।
चिहानमै भोजभतेर : झन्डै १,५०० वर्ष पुराना कङ्कालको अध्ययन गर्दा पुरातत्त्वविद्हरू आश्चर्यमा
तारीख-ए-मुबारकशाही (याहिया बिन अहमद सरहिंदी)
संभवतः बर्नियर एकमात्र इतिहास ऐसा इतिहासकार है, जिसने राजकीय कारखानों की कार्यप्रणाली का विस्तृत विवरण दिया है। बर्नियर ने लाहौर की एक सुंदर अल्पवयस्क विधवा के सती के रूप में बलि दिये जाने का बहुत मार्मिक चित्रण किया है। यद्यपि बर्नियर ने प्रायः प्रत्येक दृष्टांत में भारत की स्थिति को यूरोप में हुए विकास की तुलना में दयनीय बताया है और मुगलकालीन शहरों को ‘शिविर नगर’ कहा है। फिर भी, कुल मिलाकर बर्नियर के विवरण ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण और प्रायः प्रामाणिक हैं।
इस ग्रंथ में उसने हिन्दुस्तान की दो कारणों से प्रशंसा की है-
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